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मरुत उनचास ( 49 forms of wind) का अर्थ क्या है ?

श्री राम चरित मानस-सुन्दरकाण्ड
के 25 वें दोहे में तुलसीदास जी ने जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी, उस प्रसंग पर लिखा है

हरि प्रेरित तेहि अवसर चले ‘मरुत उनचास’।
अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।।25।।


अर्थात : जब हनुमान जी ने लंका को अग्नि के हवाले कर दिया तो भगवान की प्रेरणा से *उनचासों (49) पवन* चलने लगे हनुमान जी अट्टहास करके गर्जे और आकार बढ़ाकर आकाश से जा लगे

इस दोहे में उनचास मरुत का क्या अर्थ है ?
49 प्रकार की वायु के बारे में जानकारी पर आपको सनातन धर्म पर अत्यंत गर्व

तुलसीदासजी के वायु ज्ञान पर सुखद आश्चर्य होगा, जिससे शायद आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है ।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वेदों में वायु की 7 शाखाओं के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। अधिकतर लोग यही समझते हैं कि वायु तो एक ही प्रकार की होती है,

लेकिन उसका रूप बदलता रहता है, जैसे कि ठंडी वायु, गर्म वायु और समान वायु, लेकिन ऐसा नहीं है।

दरअसल, ‘जल’ के भीतर जो वायु है उसका वेद-पुराणों में अलग नाम दिया गया है और ‘आकाश’ में स्थित जो वायु है उसका नाम अलग है।’अंतरिक्ष’ में जो वायु है उसका नाम अलग और ‘पाताल’ में स्थित वायु अलग

नाम अलग होने का मतलब यह कि उसका गुण और व्यवहार भी अलग ही होता है। इस तरह वेदों में 7 प्रकार की वायु का वर्णन मिलता है।

ये 7 प्रकार हैं- 1. प्रवह, 2. आवह, 3. उद्वह, 4. संवह, 5. विवह, 6. परिवह और 7. परावह।
#कर्मफल तो भोगने ही पड़ेंगे, इस जन्म या अगले जन्म :

एक राजा बड़ा धर्मात्मा, न्यायकारी और ईश्वर का भक्त था। उसने ठाकुर जी का मंदिर बनवाया और एक ब्राह्मण को उसका पुजारी नियुक्त किया। वह ब्राह्मण बड़ा सदाचारी, धर्मात्मा और संतोषी था।


वह राजा से कभी कोई याचना नहीं करता था, राजा भी उसके स्वभाव से बहुत प्रसन्न था। उसे राजा के मंदिर में पूजा करते हुए बीस वर्ष बीत गये। उसने कभी भी राजा से किसी प्रकार का कोई प्रश्न नहीं किया।

राजा के यहाँ एक लड़का पैदा हुआ था। राजा ने उसे पढ़ा लिखाकर...

विद्वान बनाया और बड़ा होने पर उसकी शादी एक सुंदर राजकन्या के साथ करा दी। शादी करके जिस दिन राजकन्या को अपने राजमहल में लाये उस रात्रि में राजकुमारी को नींद न आयी।

वह इधर-उधर घूमने लगी जब अपने पति के पलंग के पास आयी तो क्या देखती है कि हीरे जवाहरात जड़ित...

मूठेवाली एक तलवार पड़ी है।

जब उस राजकन्या ने देखने के लिए वह तलवार म्यान में से बाहर निकाली, तब तीक्ष्ण धारवाली और बिजली के समान प्रकाशवाली तलवार देखकर वह डर गयी व डर के मारे उसके हाथ से तलवार गिर पड़ी और राजकुमार की गर्दन पर जा लगी।

राजकुमार का सिर कट गया और वह मर गया।

राजकन्या पति के मरने का बहुत शोक करने लगी। उसने इसगवार से प्रार्थना की कि, 'हे प्रभु! मुझसे अचानक यह पाप कैसे हो गया? पति की मृत्यु मेरे ही हाथों हो गयी। आप तो जानते ही हैं, परंतु सभा में मैं सत्य न कहूँगी क्योंकि...
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता ।
अस वर दीन्ह जानकी माता ।।

“अष्ट सिद्धि” कौन सी हैं वो अष्‍ट सिद्धियां जिनके दाता महाबली हनुमान बताए गए हैं!

तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई हनुमान चालीसा के इस दोहे को आपने न जाने कितनी बार सुना और दोहराया होगा

#JaiShaniDev #JaiShreeRam 🙏🏻🚩


तुलसीदास जी बताते हैं कि हनुमान जी आठ सिद्धियों से संपन्न हैं.

श्रीहनुमान रुद्र के ग्यारहवें अवतार हैं. वे कई गुणों, सिद्धियों और अपार बल के स्वामी हैं. इस चौपाई के अनुसार यह ‘अष्टसिद्धि’ माता सीता के आशीर्वाद से श्रीहनुमान जी को अपने भक्तों तक पहुंचाने को भी मिली है

इन शक्तियों के प्रभाव से ही हनुमानजी ने लंका को ऐसा उजाड़ा कि महाबली रावण न केवल दंग रह गया बल्कि उसका घमंड भी चूर हो गया.

ये हैं वे आठ सिद्धियां और उनसे होने वाले चमत्कारों का वर्णन

(1) अणिमा (2) महिमा (3) गरिमा (4) लघिमा (5) प्राप्‍ति (6) प्राकाम्‍य (7) ईशित्‍व (8) वशित्‍व ।

1- अणिमा 

महाबली हनुमान जी द्वारा प्रदान की जाने वाली ये सिद्धि बड़ी ही चमत्‍कारिक है। इस सिद्धि के पूर्ण हो जाने पर इंसान कभी भी अति सूक्ष्‍म रूप धारण कर सकता है। इस सिद्धि का उपयोग स्‍वयं महाकपि ने भी किया था। हनुमान जी ने इस सिद्धि का प्रयोग करते हुए ही

राक्षस राज रावण की लंका में प्रवेश किया था और सीता माता का पता लगाया था । यही नहीं सुरसा नामक राक्षसी के मुंह में बजरंगबली ने इसी सिद्धि के माध्‍यम से बाहर निकल आये थे

2- महिमा

इस सिद्धि को साध लेने वाला मनुष्‍य अपने शरीर को कई गुना विशाल बना सकता है।
🌺श्री कृष्ण और स्यांतक मणी की कहानी🌺

एक बार भगवान श्रीकृष्ण बलरामजी के साथ हस्तिनापुर गए। उनके हस्तिनापुर चले जाने के बाद अक्रूर और कृतवर्मा ने शतधन्वा को स्यमंतक मणि छीनने के लिए उकसाया। शतधन्वा बड़े दुष्ट और पापी स्वभाव का मनुष्य था।


अक्रूर और कृतवर्मा के बहकाने पर उसने लोभवश सोए हुए सत्राजित को मौत के घाट उतार दिया और मणि लेकर वहाँ से चला गया। शतधन्वा द्वारा अपने पिता के मारे जाने का समाचार सुनकर सत्यभामा शोकातुर होकर रोने लगी।

फिर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण कर उसने यह प्रतिज्ञा की कि जब तक श्रीकृष्ण शतधन्वा का वध नहीं कर देंगे, वह अपने पिता का दाह-संस्कार नहीं होने देगी। इसके बाद उसने हस्तिनापुर जाकर श्रीकृष्ण को सारी घटना से अवगत कराया।वे उसी समय सत्यभामा और बलरामजी के साथ हस्तिनापुर से द्वारिका लौट आए।

द्वारिका पहुँचकर उन्होंने शतधन्वा को बंदी बनाने का आदेश दे दिया। जब शतधन्वा को ज्ञात हुआ कि श्रीकृष्ण ने उसे बंदी बनाने का आदेश दे दिया है तो वह भयभीत होकर कृतवर्मा और अक्रूर के पास गया और उनसे सहायता की प्रार्थना की। किंतु उन्होंने सहायता करने से इंकार कर दिया।

तब उसने स्यमंतक मणि अक्रूर को सौंप दी और अश्व पर सवार होकर द्वारिका से भाग निकला।
श्रीकृष्ण व बलराम को उसके भागने की सूचना मिली।अतः उसका वध करने के लिए वे रथ पर सवार होकर उसका पीछा करने लगे।उन्हें पीछे आते देख शतधन्वा भयभीत होकर अश्व से कूद गया व पैदल ही वन की ओर दौड़ने लगा।
Navratri Starts From Today.

And If a Devotee starts Tapasya in front of Her from Today, Maa Guides Him to Moksh in just 9 days.

The #Thread says
All the 9 forms of Energy of Maa in 9 days &
The way She Unlocks Various Aspects of a Penancing Devotee's Mind & Help Him Reach Moksh


वन्देवांछितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌।
वृषारूढांशूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

Maa #Shailaputri is the Muldhara Energy Form.

The Devotee Sits in Penance, Performs all Spiritual Discipline which is mainly Gathering Immovable Faith in Her & Worships for the Muldhhara Energy


दधानाकरपद्माभ्याम् अक्षमालाकमण्डलू।
देवीप्रसीदतुमयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

Maa #BrahmaCharini is the Energy Form of Tapa & Upasana.

The Devotee's Mind gets out of this Chaotic Physical World & sleeps into Deep Penance or Tapa & Prepare to Acknowledge Maa's Cosmic Grandeur.


पिंडजप्रवरारूढा चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादंतनुतेमह्यं चंद्रघंटेति विश्रुता।।

Maa #ChandraGhanta is the Form of Peace & Fruitfulness.

Maa's Charm & Divine Bright GoldenAura Calms Devotee's Mind off all Pain.
It can Feel the Eternal Happiness & Fruitfulness like in Mother's Lap


सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।

Maa #Kushmanda is the form of Warmth & Heat.

The Devotee can Feel Maa's Maternal Warmth.
The Mind Recognize HER as the Core Creator of this Whole Universe & it is Her Heat that Warms the Cosmic Eggs
#Thread
कब तक नेहरू - गांधी की अंध पूजा ?

हमारे देश की पाठ्य-पुस्तकों में जवाहरलाल नेहरू का गुण-गान होते रहना कम्युनिस्ट देशों वाली परंपरा की नकल है। अन्य देशों में किसी की ऐसी पूजा नहीं होती जैसी यहाँ गाँधी-नेहरू की होती है।

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अतः जैसे रूसियों, चीनियों ने वह बंद किया, हमें भी कर लेना चाहिए। वस्तुतः खुद नेहरू ने जीवन-भर जिन बातों को सब से अधिक दुहराया था, उसमें यह भी एक था – ‘हमें रूस से सीखना चाहिए’ और सचमुच नेहरू और पीछे-पीछे पूरे भारत ने कम्युनिस्ट रूस से अनेकों नारे और हानिकारक चीजें सीखीं।

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तब क्या अब कुछ अच्छा नहीं सीखना चाहिए?

जिस तरह रूसियों ने लेनिन-पूजा बंद कर दी, हमें भी नेहरू और गाँधी-पूजा खत्म करनी चाहिए। यह तुलना अनोखी नहीं है। यहाँ पैंतीस-चालीस साल पहले नेहरू की लेनिन से तुलना बड़ी ठसक से होती थी।

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नेता और प्रोफेसर इस पर लेख, पुस्तकें लिखते थे, और सरकार से ईनाम पाते थे। तब रूस में लेनिन और यहाँ नेहरू की महानता एक स्वयं-सिद्धि थी। दोनों को अपने-अपने देश का प्रथम मार्गदर्शक, महामानव, दार्शनिक, आदि बताने का चलन था। फिर समय आया कि रूसियों ने लेनिन-पूजा बंद कर दी।

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वही स्थिति चीन में माओ की हुई। आज उन देशों में अपने उन कथित मार्गदर्शकों की जयंती तक मनना बंद हो चुका है। रूस और चीन में इस अंध-पूजा के पटाक्षेप के लिए कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं हुई। जनता ने सर्वसम्मति से उस कथित महानता का अध्याय बंद किया।

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विज्ञप्ति जारी (आवश्यक सूचना) :

-जोशीमठ, चमोली
(आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तदनुसार दिनांक 5 अक्टूबर 2021)

ज्योतिर्मठ में आयोजित होगा शारदीय नवरात्रि महोत्सव :- आगामी 7 अक्टूबर से पूरे देश में शारदीय नवरात्रि में शक्ति उपासना का क्रम शुरू हो जाएगा।

चतुराम्नाय शांकर पीठ में अन्यतम ज्योतिर्मठ जिसे 'श्रीमठ' भी कहा जाता है।

इस शक्ति क्षेत्र में विविध क्रम से साधक अपनी - अपनी 'शक्ति' उपासना और आराधना सम्पन्न करते हैं।

उत्तर भारत की आध्यात्मिक राजधानी 'ज्योतिर्मठ' जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में स्थित है।

वहां पर स्थापित तोटकाचार्य गुफा ज्योतिष्पीठ परिसर में प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी अखिलकोटिब्रहाण्ड नायिका राजराजेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी माता जी की भव्य आराधना कार्यक्रम सम्पन्न होगा।

ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने...

भगवती के श्रृंगार के लिए रजत मुकुट और ६४ योगिनी देवियों के लिए विशेष वस्त्र और श्रृंगार सामग्री प्रेषित की है।
शारदीय नवरात्रि के अवसर पर देवी जी के प्रांगण में सविधि कलशस्थापन कर प्रतिदिन माता जी की विशेष आराधना, महाश्रृंगार के साथ ही योगिनियों की पूजा का क्रम भी सम्पन्न होगा।

उपरोक्त सभी कार्यक्रम शंकराचार्य जी महाराज के प्रतिनिधि पूज्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज के कुशल मार्गदर्शन व ब्रह्मचारी श्रवणानन्द जी एवं ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द जी के सान्निध्य में सम्पन्न होगा।

मुख्य यजमान के रूप में भगवती ने इस सेवा का अवसर...