चार प्रकार की उपासना
उपासना में उप+आसना दो पद हैं । उप माने समीप आसना माने बैठना । अपने इष्टदेव का सान्निध्य प्राप्त करना उपासना है ।
"शिव-गीता" में भगवान् शंकर श्रीराम जी को उपदेश करते हुए कहते हैं :: "राम ! उपासना चार प्रकार की हैं

आरोप प्रधान सम्पत्ति :: सगुण-मूर्ति का चिन्तन ।
अधिष्ठान प्रधान अभ्यास :: अधिष्ठान को उद्द्येश्य करके आरोपित का ध्यान करना ।
मेरा भक्त मेरा ध्यान किस प्रकार करे ?
इसे बताते हुए भगवान् शिव कहते हैं