#GMRInfra Breakout, retest and next Breakout possible?
Stock seems to in long term uptrend again.

@option_square @Arpit1223 @chartmojo @caniravkaria

More from Dare2Dream

More from Gmrinfra

You May Also Like

Ivor Cummins has been wrong (or lying) almost entirely throughout this pandemic and got paid handsomly for it.

He has been wrong (or lying) so often that it will be nearly impossible for me to track every grift, lie, deceit, manipulation he has pulled. I will use...


... other sources who have been trying to shine on light on this grifter (as I have tried to do, time and again:


Example #1: "Still not seeing Sweden signal versus Denmark really"... There it was (Images attached).
19 to 80 is an over 300% difference.

Tweet: https://t.co/36FnYnsRT9


Example #2 - "Yes, I'm comparing the Noridcs / No, you cannot compare the Nordics."

I wonder why...

Tweets: https://t.co/XLfoX4rpck / https://t.co/vjE1ctLU5x


Example #3 - "I'm only looking at what makes the data fit in my favour" a.k.a moving the goalposts.

Tweets: https://t.co/vcDpTu3qyj / https://t.co/CA3N6hC2Lq
हिमालय पर्वत की एक बड़ी पवित्र गुफा थी।उस गुफा के निकट ही गंगा जी बहती थी।एक बार देवर्षि नारद विचरण करते हुए वहां आ पहुंचे।वह परम पवित्र गुफा नारद जी को अत्यंत सुहावनी लगी।वहां का मनोरम प्राकृतिक दृश्य,पर्वत,नदी और वन देख उनके हृदय में श्रीहरि विष्णु की भक्ति अत्यंत बलवती हो उठी।


और देवर्षि नारद वहीं बैठकर तपस्या में लीन हो गए।इन्द्र नारद की तपस्या से घबरा गए।उन्हें हमेशा की तरह अपना सिंहासन व स्वर्ग खोने का डर सताने लगा।इसलिए इन्द्र ने नारद की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव को उनके पास भेज दिया।वहां पहुंच कामदेव ने अपनी माया से वसंतऋतु को उत्पन्न कर दिया।


पेड़ और पौधों पर रंग बिरंगे फूल खिल गए और कोयलें कूकने लगी,पक्षी चहकने लगे।शीतल,मंद,सुगंधित और सुहावनी हवा चलने लगी।रंभा आदि अप्सराएं नाचने लगीं ।किन्तु कामदेव की किसी भी माया का नारद पे कोई प्रभाव नहीं पड़ा।तब कामदेव को डर सताने लगा कि कहीं नारद क्रोध में आकर मुझे श्राप न देदें।

जैसे ही नारद ने अपनी आंखें खोली, उसी क्षण कामदेव ने उनसे क्षमा मांगी।नारद मुनि को तनिक भी क्रोध नहीं आया और उन्होने शीघ्र ही कामदेव को क्षमा कर दिया।कामदेव प्रसन्न होकर वहां से चले गए।कामदेव के चले जाने पर देवर्षि के मन में अहंकार आ गया कि मैने कामदेव को हरा दिया।

नारद फिर कैलाश जा पहुंचे और शिवजी को अपनी विजयगाथा सुनाई।शिव समझ गए कि नारद अहंकारी हो गए हैं और अगर ये बात विष्णु जी जान गए तो नारद के लिए अच्छा नहीं होगा।ये सोचकर शिवजी ने नारद को भगवन विष्णु को ये बात बताने के लीए मना किया। परंतु नारद जी को ये बात उचित नहीं लगी।