Get a Job in Web3 Space ✨

Avg. Salary - $155K 💰

Build your Web3 Resume with these 5 Blockchain Projects 🧑‍💻

A Thread 🧵↓

1/ Create a DAO

Decentralized Autonomous Organization (DAO)

you can learn :

• How DAO work
• Voting process
• Governance token
• Proposal
https://t.co/RuLZBkVd8z
2/ Mint an NFT

• Create an NFT from Scratch.
• learn ERC-721 token.
• Metadata
• Deploy on the Testnet.
• upload it to Opensea.

https://t.co/kjptYz3WwU
3/ In this tutorial, you're gonna be building the Opensea Blockchain Web 3.0 App using Next JS, Sanity. io, thirdweb, Tailwind CSS, and Vercel.

https://t.co/FRHmtP9Yhc
4/ n this tutorial, you're gonna be building the Uniswap Blockchain Web 3.0 App using Solidity, Next JS, Sanity. io, Tailwind CSS, and Vercel.

https://t.co/NNOmwQ0Kiy
5/ In this video, you'll learn how to build a full stack NFT marketplace on Ethereum with Solidity, Polygon, IPFS, Next.js, Ethers.js, and Hardhat.

https://t.co/g0gHHuwwUR

You May Also Like

शमशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायी और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में अपने तीन वर्ष के बालक को रख के स्वयं चिता पे बैठ कर सती हो गयी ।इस प्रकार ऋषी दधीचि और उनकी पत्नी की मुक्ति हो गयी।


परन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़पने लगा। जब कुछ नहीं मिला तो वो कोटर में पड़े पीपल के गोदों (फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के फलों और पत्तों को खाकर बालक का जीवन किसी प्रकार सुरक्षित रहा।

एक दिन देवर्षि नारद वहां से गुजर रहे थे ।नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देख कर उसका परिचय मांगा -
नारद बोले - बालक तुम कौन हो?
बालक - यही तो मैं भी जानना चहता हूँ ।
नारद - तुम्हारे जनक कौन हैं?
बालक - यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।

तब नारद ने आँखें बन्द कर ध्यान लगाया ।


तत्पश्चात आश्चर्यचकित हो कर बालक को बताया कि 'हे बालक! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो । तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्रास्त्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी।तुम्हारे पिता की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी'।

बालक - मेरे पिता की अकाल मृत्यु का क्या कारण था?
नारद - तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।
बालक - मेरे उपर आयी विपत्ति का कारण क्या था?
नारद - शनिदेव की महादशा।
इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर बड़े हुए उस बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।