#रक्षाबंधन

कल रक्षाबंधन पर 50 साल बाद बन रहा है यह योग, राखी बांधने से पहले जरूर करें ये काम, आइये जानें राखी बांधने का सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त.

हिंदी पंचांग के अनुसार, कल 22 अगस्त को सावन मास की पूर्णिमा तिथि है. सावन पूर्णिमा की तिथि हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण होती है..

इस तिथि को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है. बहनें अपने भाइयों की कलाई पर #राखी बांधती हैं. पूरे 50 साल बाद इस बार के रक्षा बंधन पर यह चार विशिष्ट योग बन रहें हैं. ऐसे में इस रक्षा बंधन का माहात्म्य अतुलनीय है...
इस लिए बहनें भाई को राखी बांधने से पहले ये काम जरूर कर लें.

कल दि. 21 अगस्त श्रावण मास को पू्र्णिमा एवं रक्षाबंधन अतिशुभ पावन पर्व है। जो कोई भी पूर्णिमा पर व्रत पूजन इत्यादि करता है। उसे सत्यनारायण भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

▪️राखी बंधने से पहले करें ये काम▪️
इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा. बहनें सूर्योदय के बाद कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं. लेकिन इससे पहले बहनों को चहिये कि वे राखी को भगवान को अर्पित करें. हिंदू धर्म शास्त्र के मुताबिक, सबसे पहले देवताओं को राखी बांधकर उनको भोग लगाना चाहिए..
तत्पश्चात भाइयों को राखी बांधें. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और बहनों को मनवांछित वरदान देते हैं. भाइयों का घर धन-दौलत से भर देते हैं.

सबसे पहले राखी #भगवान_श्री_गणेश_जी को बांधना चाहिए. उसके बाद अन्य देवों को जैसे भगवान विष्णु, भगवान शिव,भगवान
श्री कृष्ण, भगवान श्री राम, भगवान हनुमान और अपने ईष्ट देव को राखी अर्पित करें के बाद ही भाइयों को राखी बांधें.

▪️रक्षाबंधन 2021 पर बन रहा है यह महा संयोग

साल 2021 का रक्षाबंधन चार विशिष्ट योगों से परिपूर्ण है. यह महा योग पूरे 50 साल बाद बन रहा है...
50 साल बाद रक्षा बंधन के पर्व पर सर्वार्थसिद्धि, कल्याणक, महामंगल और प्रीति योग एक साथ बन रहें हैं. इसके पहले यह संयोग 1981 में एक साथ बने थे. इन चारों महा योगों से इस साल के रक्षाबंधन का महात्म्य बहुत अधिक बढ़ गया है. इस अद्भुत योग के मध्य भाई और बहन के लिए ..
रक्षा बंधन की रस्म अति विशेष कल्याणकारी होगी.

राखी बांधने का सबसे उत्तम मुहूर्त : 22 अगस्त 2021 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट दोपहर से शाम 04 बजकर 18 मिनट तक, राखी बांधना सबसे शुभ रहेगा.

▪️रविवार के दिन किया गया जप, ध्यान, दान लाख गुना फलदायी होता है।
▪️पूर्णिमा पर्व पर श्रीहरि विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना परम महाफलदाई है।

▪️रविवार के दिन प्रात: सूर्य देव को जल में रोली, या चन्दन, गुड़, चावल और लाल पुष्य डालकर अर्घ्य देने से कार्यो में श्रेष्ठ सफलता की प्राप्ति होती है।

▪️रविवार के दिन मंदिर में भैरव नाथ के दर्शन एवं ..
उनकी आराधना अवश्य करें।

▪️रविवार के दिन अदरक, मसूर की दाल ना खाएं।

🙏🏼बोलिए सत्यनारायण भगवान की जय🙏🏼

दिनांक - २१.०८.२०२१
---#राज_सिंह---
साभार: Vedic Science

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🌺श्री गरुड़ पुराण - संक्षिप्त वर्णन🌺

हिन्दु धर्म के 18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण का हिन्दु धर्म में बड़ा महत्व है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद सद्गती की व्याख्या मिलती है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं, इसलिए ये वैष्णव पुराण है।


गरुड़ पुराण के अनुसार हमारे कर्मों का फल हमें हमारे जीवन-काल में तो मिलता ही है परंतु मृत्यु के बाद भी अच्छे बुरे कार्यों का उनके अनुसार फल मिलता है। इस कारण इस पुराण में निहित ज्ञान को प्राप्त करने के लिए घर के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद का समय निर्धारित किया गया है...

..ताकि उस समय हम जीवन-मरण से जुड़े सभी सत्य जान सकें और मृत्यु के कारण बिछडने वाले सदस्य का दुख कम हो सके।
गरुड़ पुराण में विष्णु की भक्ति व अवतारों का विस्तार से उसी प्रकार वर्णन मिलता है जिस प्रकार भगवत पुराण में।आरम्भ में मनु से सृष्टि की उत्पत्ति,ध्रुव चरित्र की कथा मिलती है।


तदुपरांत सुर्य व चंद्र ग्रहों के मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र,इन्द्र सम्बंधित मंत्र,सरस्वती मंत्र और नौ शक्तियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस पुराण में उन्नीस हज़ार श्लोक बताए जाते हैं और इसे दो भागों में कहा जाता है।
प्रथम भाग में विष्णुभक्ति और पूजा विधियों का उल्लेख है।

मृत्यु के उपरांत गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है ।
पुराण के द्वितीय भाग में 'प्रेतकल्प' का विस्तार से वर्णन और नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तांत मिलता है। मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्ति के उपाय...

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From today, we will memorize the names of 27 Nakshatras in Vedic Jyotish to never forget in life.

I will write 4 names. Repeat them in SAME sequence twice in morning, noon, evening. Each day, revise new names + recall all previously learnt names.

Pls RT if you are in.

2

Today's Nakshatras are:-

1. Ashwini - अश्विनी

2. Bharani - भरणी

3. Krittika - कृत्तिका

4. Rohini - रोहिणी

Ashwini - अश्विनी is the FIRST Nakshatra.

Repeat these names TWICE now, tomorrow morning, noon and evening. Like this tweet if you have revised 8 times as told.

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Today's Nakshatras are:-

5. Mrigashira - मृगशिरा

6. Ardra - आर्द्रा

7. Punarvasu - पुनर्वसु

8. Pushya - पुष्य

First recall previously learnt Nakshatras twice. Then recite these TWICE now, tomorrow morning, noon & evening in SAME order. Like this tweet only after doing so.

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Today's Nakshatras are:-

9. Ashlesha - अश्लेषा

10. Magha - मघा

11. Purvaphalguni - पूर्वाफाल्गुनी

12. Uttaraphalguni - उत्तराफाल्गुनी

Purva means that comes before (P se Purva, P se pehele), and Uttara comes later.

Read next tweet too.

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Purva, Uttara prefixes come in other Nakshatras too. Purva= pehele wala. Remember.

First recall previously learnt 8 Nakshatras twice. Then recite those in Tweet #4 TWICE now, tomorrow morning, noon & evening in SAME order. Like this tweet if you have read Tweets #4 & 5, both.